स्वामी राघवाचार्य के प्रवचन में हनुमन्नाटक के प्रसङ्ग के सन्दर्भानुसार रावण की अच्छाईयों पर निग्रहाचार्य की टिप्पणी का सामयिक औचित्य तथा अविवेकी प्रोफेसरों के द्वारा नकली धर्मगुरु खड़े करने एवं राजनैतिक हिन्दुओं की मूर्खता के विप्लवकारी परिणाम पर निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु का कथन।
Share Optionsक्यों किया जा रहा है अधर्म का महिमामण्डन ? क्या रावण की अच्छाईयों को अपनाना चाहिए ?
