स्वामी राघवाचार्य के प्रवचन में हनुमन्नाटक के प्रसङ्ग के सन्दर्भानुसार रावण की अच्छाईयों पर निग्रहाचार्य की टिप्पणी का सामयिक औचित्य तथा अविवेकी प्रोफेसरों के द्वारा नकली धर्मगुरु खड़े करने एवं राजनैतिक हिन्दुओं की मूर्खता के विप्लवकारी परिणाम पर निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु का कथन।
Share OptionsRelated Posts
त्रिदण्डी स्वामी गोपालाचार्य जी के साथ स्वामी निग्रहाचार्य के संस्मरण
श्रीमज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य वेदान्तमार्त्तण्ड त्रिदण्डी स्वामिश्री गोपालाचार्य जी के चातुर्मास्य व्रत, गोह (औरंगाबाद, बिहार) में आयोजित कथा में पधारे निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद…
Are Adam and Eve described as Manu and Shatarupa in Hindu Dharma ?
स्वामी वासुदेवाचार्य ‘विद्याभास्कर’ जी ने आदम एवं हव्वा को बताया स्वायम्भुव मनु एवं शतरूपा, निग्रहाचार्य ने किया शास्त्रीय खण्डन। कथावाचक…
निग्रहाचार्य गोविन्दानन्द विवाद के प्रमुख अंश
भाग एक स्वामिश्री गोविन्दानन्द सरस्वती ने निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु को दी शास्त्रार्थ की चुनौती। जानिए, दोनों के मध्य किस बात…
