निग्रहाचार्य गोविन्दानन्द विवाद के प्रमुख अंश

भाग एक

स्वामिश्री गोविन्दानन्द सरस्वती ने निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु को दी शास्त्रार्थ की चुनौती। जानिए, दोनों के मध्य किस बात को लेकर हुआ विवाद ?

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Original Dated – 12th May, 2023


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भाग दो

कभी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती को शूद्र घोषित कर देते हैं, कभी उनके ही चरणों में लोटने लगते हैं, कभी धर्मरक्षा के नाम पर शास्त्रार्थ की चुनौती देते हैं तो कभी अपने ही पातकों पर मौन रह जाते हैं, ऐसी अद्भुत लीला वाले स्वघोषित ‘परमहंस परिव्राजकाचार्य’ गोविन्दानन्द सरस्वती की सप्रमाण पोल खोलते निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु | गोविन्दानन्द सरस्वती को हमें बुलाकर हराने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। दुर्जनतोषन्याय से हम यहीं से स्वीकार कर लेते हैं कि गोविन्दानन्द सरस्वती के द्वारा अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती को शूद्र सिद्ध कर ही दिया गया है अतः हम एक शूद्र को दण्ड संन्यास देने वाले स्वामी स्वरूपानंद जी, उसे अभिषिक्त करने वाले शृङ्गेरी शंकराचार्य जी, उसके साथ मंच साझा करने, अर्ध कुम्भ स्नान करने, उसके द्वारा मङ्गल पूजा स्वीकारने और अपने आश्रमों में दण्डी संन्यासी कहकर स्वागत करने वाले पुरी शंकराचार्य जी और उसे दण्ड प्रणाम करने वाले गोविन्दानन्द जी, सबको एक साथ गोविन्दानन्द के ही तर्कों के आधार पर अशास्त्रीयता का पोषक और पतित घोषित करते हैं क्योंकि सारा किया धरा इन लोगों का ही है। अतः शूद्र को दण्ड संन्यास देने वाले से दीक्षा लेने और पूर्व में शूद्र की चरण वन्दना करने वाले आरूढ़पतित गोविन्दानन्द न किसी धर्मसभा के आयोजन में अधिकृत है और न निग्रहाचार्य के निग्रह में। अब ठीक है गोविन्दानन्दजी ?

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Original Dated – 16th May, 2023

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भाग तीन

निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु को फ़र्ज़ी और पाखण्डी सिद्ध करने स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती धर्मपुरा, कवर्धा के मंच पर आये और अपना दूत मंच पर भेजा और व्यासपीठ को फ़र्ज़ी कहा। निग्रहाचार्य ने नारायण स्वरूप दण्डी संन्यासी मानते हुए असमय ही श्रीमद्भागवत कथा को अल्प विश्राम दिया और स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती की ही शर्तों के अनुसार शास्त्रार्थ हेतु व्यासपीठ से उतर कर अन्य आसन पर स्थान ग्रहण किया। स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती का मंच पर यथोचित स्वागत भी किया और उनका परिचय जनता को दिया। फिर लगभग डेढ़ घण्टे तक स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती ने मूर्खतापूर्ण कुतर्क करते हुए निग्रहाचार्य पर अनर्गल आक्षेप करते हुए बहुत से कुवाच्य कहे, जिन्हें धैर्यपूर्वक निग्रहाचार्य सुनते रहे।

दीर्घकाल तक स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती की बकवास सुनने के बाद निग्रहाचार्य ने कहा कि अब आप मुझे बोलने का अवसर दें ताकि आपके आक्षेपों का उत्तर दिया जा सके किन्तु स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती ने निग्रहाचार्य को बोलने का अवसर नहीं दिया। अन्त में उपस्थित सनातनी समुदाय इस कुचक्र से त्रस्त होकर अपना आपा खोकर उग्र हो गया। निग्रहाचार्य ने भीड़ को शान्त करने का प्रयास किया और उत्तर देने लगे। स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती दस मिनट भी उत्तर सुनने का साहस नहीं कर सके। स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती के सुरक्षाकर्मियों ने अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर स्थिति नियन्त्रित करने का प्रयास किया किन्तु असफल रहे और स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती पुलिस की सुरक्षा घेरे का सहयोग लेकर मंच से भाग गये। जनसमुदाय ने एक स्वर से निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु को विजयी मानकर जयघोष किया।

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Original Dated – 17th June, 2023

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भाग चार

निग्रहाचार्य के विरुद्ध असामाजिक तत्त्वों का कुटिल षड्यन्त्र | स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती पर अज्ञात लोगों ने किया हमला | निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु का आया बड़ा बयान।

इन असत्यवादी समाचार पत्रों के द्वारा मेरे विरुद्ध किये जा रहे दुष्प्रचार का वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है तथा मेरे सम्बन्ध में इस घटना को जैसा बताया जा रहा है, वैसा कुछ हुआ ही नहीं है। स्वामी सदानन्द सरस्वती किसी भी प्रकार से मेरे गुरु नहीं हैं, उपद्रवी किसी भी प्रकार से मेरे शिष्य नहीं हैं। सत्य को सर्वथा विकृत करके धूर्त्ततापूर्व भ्रम को प्रसारित करने वाले द्वेषियों से सावधान रहें ! मेरे विरुद्ध पहले से ही पाखण्डियों की मोर्चाबन्दी होती रही है तथा यह षड्यन्त्र भी इसी का भाग है।

स्थानीय लोगों के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई है कि घटना की रात्रि को गोविन्दानन्द सरस्वती प्रशासन से मांग कर रहे थे कि निग्रहाचार्य को एक घण्टे के भीतर गिरफ्तार करो किन्तु उनके अंगरक्षकों ने ही मुझे निर्दोष बताया। आदित्यवाहिनी के अन्य जिलों के लोग भी उनके समर्थन में आ रहे थे। अगले दिन पुनः गोविन्दानन्द हमारे मंच के प्रवेश द्वार तक हंगामा करने आ गये थे किन्तु प्रशासन ने उन्हें ही प्रतिबन्धित किया और सुरक्षा में रायपुर भेजा जहाँ हमले की बात आ रही है।

१) हमने नहीं बुलाया था। पूर्व में ही उन्होंने जब चुनौती दी तो हमने 3 स्थानों का नाम लेकर था कहा कि अमुक अमुक स्थान पर आ सकते हैं, जिसमें यह भी है। चुनौती उन्होंने दी थी, मैंने नहीं। मैंने स्वीकार किया था, किन्तु यह भी कहा था कि उभय स्थिति में आपका ही मत निरस्त होगा, अतः शास्त्रार्थ से आपका उपहास ही होगा।

२) इन्होंने स्वयं प्रातः अभद्रशैली में हमें ललकारा तो हमने पता बता दिया। आने पर स्वागत भी किया, संवाद का प्रयास भी किया। हमारे किसी शिष्य, समर्थक या हमने कोई अभद्रता, गाली, मारपीट नहीं की है। जिसने की है, वह हमारा शिष्य या समर्थक नहीं है।

३) आप राजकीय अतिथि हैं और प्रशासन इस बात की पुष्टि तक नहीं कर पा रहा है कि आपको मिली सुरक्षा असली है या नकली ? वाह ? आप थाने में घुस गये, फिर भी पुलिस देखती रही ? वहां से निकल कर जिसके घर में घुसे, वह किसका घर है ? आप कैसे जानते हैं ? उपद्रव देखकर उसने घुसने कैसे दिया ?

४) दो मंजिल से कूदने के बाद उपद्रवियों ने आपको क्यों नहीं पकड़ा ? पकड़ सकते थे न, पैर तो टूट ही गये थे। आपके साथ जो चार पांच लोग आपके परिकर के रूप में हमारे मंच पर आये थे, उनपर हमला क्यों नहीं हुआ ? यदि हुआ तो वे अभी कहाँ हैं, कैसे हैं, क्या कर रहे हैं ?

५) प्रशासन ने आपकी सुरक्षा क्यों नहीं की ? सरकार के राजकीय अतिथि तक की सुरक्षा थाने के घुसने के बाद भी नहीं हो पा रही है, वहां से निकल कर दूसरे के घर की दो मंजिल से कूदना पड़ रहा है, यह कैसी व्यवस्था है ? प्रशासन के लोगों ने तो मंच पर प्रत्यक्ष सब देखा था, उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि निग्रहाचार्य के शिष्य और समर्थकों ने ऐसा किया है ?

६) शास्त्रार्थ में शास्त्रीय विषय होता है। चर्चा भी हो तो दोनों पक्ष बोलते हैं। डेढ़ घण्टे से अधिक आप बोलते रहे और फिर भी मेरी बात सुनना नहीं चाह रहे थे तो यह क्यों कहा गया कि “चर्चा का प्रयास किया तो कुछ ही क्षण के बाद भागवतानंद के शिष्य और समर्थक अभद्रता करने लगे” ?

७) आपकी निकटता किस राजनैतिक दल से है, उसकी सरकार कहाँ है ? जो आपका विरोध कर रहे थे, उनकी निकटता किस राजनैतिक दल से है, उसकी सरकार कहाँ है ? उस सरकार की पुलिस ने राजकीय अतिथि होने के बाद भी आपकी रक्षा क्यों नहीं की ? यदि नहीं की तो आपने उनकी शिकायत क्यों नहीं की, हमारा दोष क्या है ?

८) आप पुरी शंकराचार्य जी के कार्यक्रम से हमारे कार्यक्रम में आ रहे थे, दो दिन के बाद आपके ऊपर हमला हो जाता है, आप अस्पताल में हैं, और स्वयं को पुरी शंकराचार्य का अनुयायी और आदित्यवाहिनी का सदस्य बोलने वाले बहुत से लोग दुष्प्रचार में लगे हैं कि निग्रहाचार्य ने हमला करवाया था ? इसमें क्या रहस्य है ?

९) दो दिनों के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती प्रकरण में कोई सुनवाई थी, ऐसा सुनने में आ रहा है। आप पर हमला होने के बाद भी सम्बन्धित विषय पर वे मौन क्यों हैं ? स्वयं को उनका शिष्य कहने वाले लोगों ने हमारे और आपके बीच होने वाली चर्चा में हंगामा क्यों किया ? हमारे बार बार रोकने पर भी क्यों नहीं माने ?

१०) हम शास्त्र के लिए लड़ते हैं और शास्त्रीय विधि से लड़ते हैं, न कि आपराधिक तत्त्वों के जैसे आतंक प्रसारित करते हैं। मैंने या मेरे परिकरों ने न यह हमला किया है, न करवाया है, न हमलावरों को जानते हैं और न इसका समर्थन करते हैं, अपितु स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती को मंच से सुरक्षित जाने में सहयोग ही किया है।

नयी जानकारी यह भी सामने आ रही है कि गोविन्दानन्द सरस्वती ने प्रशासन से सुरक्षा लेने के लिए झूठ बोला था कि वे छत्तीसगढ़ सरकार के राजकीय अतिथि हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के राजकीय अतिथि की सूची में उनका नाम न होने पर भी उन्होंने प्रशासन की सुरक्षा का दुरुपयोग किया है। अभी पुलिस की जांच जारी है।

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Original Dated – 19th June, 2023

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